| Format | Availability Status | Price |
|---|---|---|
| Hardback | In stock |
425.00 $ 6.58 |
Imprint: Orient Publishing
Publication Date: 03 Feb, 2014
Pages Count: 300 Pages
Weight: 450.00 Grams
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About the Book:
पाकिस्तान बनने के केवल 5 साल बाद जन्में इमरान ख़ां ने अपने देश के इतिहास को बनते और बिगड़ते देखा है; इसी इतिहास में बुना है उनका अपना जीवन — लाहौर में खुशियों भरा बचपन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा, एक बेमिसाल क्रिकेट कॅरियर, जेमिमा के साथ विवाह और तलाक, अपने धर्म और देश की खोज, राजनैतिक जीवन का आरम्भ और उनके आदर्श एवं सपने।
यादों के आईने से इमरान अपने देश के संक्षिप्त इतिहास को बताते हुए उन घटनाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जिन्होंने आज के पाकिस्तान और इस्लामिक संसार को आकार दिया है — 1965 और 1971 में भारत के साथ युद्ध, 1979 की ईरान-क्रान्ति, सोवियत संघ का अफ़गानिस्तान पर आक्रमण, 9/11 का आतंकी हमला और अमेरिका का बदला, ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान में पाये जाना और उसकी हत्या एवं अफ़गानिस्तान में एक न खत्म होने वाली विवादास्पद लड़ाई।
सारी इस्लामिक दुनिया में पाकिस्तान परमाणु बम वाला एकमात्र देश है पर फिर भी नियमित आतंकी बमबारी और अमेरिका के ड्रोन हमलों से अपने लोगों को बचाने में असमर्थ हैं।
इस अस्थिरता और अन्याय के चरम बिन्दु पर पाकिस्तान कैसे पहुंचा और उसके साधारण नागरिक अपने और देश के बारे में क्या सोचते हैं...
पाकिस्तानी इतिहास के इस जद्दोजेहद भरे खेल को जानने-समझने के लिए एक विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक... लालची और ‘डॉलरों का आदी’ राजनैतिक वर्ग, आज्ञाकारी न्यायपालिका, भ्रष्टाचार से संतृप्त पुलिस और राजनैतिक प्रणाली — जिससे पाकिस्तान के पर्यवेक्षक अपरिचित नहीं हैं — का एक स्वाभिमानी पश्तून और देश-प्रेमी पाकिस्तानी द्वारा ख़ुलासा। लेखक के शब्दों में तत्कालिता का सन्देश है... पाकिस्तान तेज़ी से असफल हो रहा राज्य है जो किसी भी वक्त विफल हो सकता है।
एक मुखर और दिलचस्प आत्मकथा जिसे आप उठाकर छोड़ न सकेंगे। पाकिस्तानी जीवन और राजनीति की खरी और अनकही सच्ची कहानी...
इमरान ख़ां का जन्म 1952 में लाहौर, पाकिस्तान में हुआ, वहीं वह क्रिकेट खेलते हुए बड़े हुए और फिर उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंग्लैण्ड, में दाखिला लिया। 1971 में उन्होंने अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला; 1982 में वह पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कैप्टन बने और 1992 तक पाकिस्तान के लिए खेलते रहे।
1994 में इमरान ख़ां ने अपनी मां की याद में एक ऐसे कैंसर-अस्पताल की स्थापना करी जिसमें गरीबों का मुफ्त इलाज होता है। 2007 में उन्होंने मियांवाली शहर के बाहर नामाल यूनिवर्सिटी की नींव रखी।
अपने क्रिकेट कॅरियर के अन्त के कुछ वर्ष बाद 1996 में इमरान ख़ां ने ‘न्याय, मानवता और आत्म-सम्मान’ के प्रस्तावित नारे के साथ पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ नामक अपनी राजनैतिक पार्टी की स्थापना करी जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को ऐसी भ्रष्टाचार-मुक्त और न्यायप्रिय शासन प्रणाली देना है जिससे हर नागरिक आत्म-सम्मान से जी सके।