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सेवासदन (Paperback)



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ISBN-13: 9788122205053
Language: Hindi

This book is available in following formats:
Format Availability Status Price
Paperback In stock
195.00
$ 3.02

Imprint: Orient Publishing

Publication Date: 01 Oct, 2012

Pages Count: 280 Pages

Weight: 300.00 Grams

Dimensions: 5.50 x 8.50 Inches


Subject Categories:

About the Book:

सेवासदन हिन्दी साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है। लेखन के लगभग सौ साल बाद भी यह उतना ही प्रासंगिक और समकालीन है जितना तब था। सेवासदन में नारी प्रधानता के साथ-साथ सामाजिक स्थितियां भी कथानक में इस तरह पिरोई गई हैं कि तत्कालीन समाज की सभी अच्छाइयों-बुराइयों का जीवन्त चित्रण सामने आ जाता हैं।

... (प्रेमचन्द के) लेखन को देखकर ऐसा लगता है मानो वे हमें कहानी सुना रहे हों।... उनका लेखन हमारी मानवीय और शिष्ट भावनाओं को जागृत करता है और अन्याय एवं असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठाने को मजबूर करता है। यही इस उपन्यास की विशिष्टता है।

बुक रिव्यु, नई दिल्ली

सेवासदन ही प्रेमचन्द का वह उपन्यास है जिसके प्रकाशन के बाद उन्हें उपन्यास सम्राट कहा जाने लगा।

डॉ. रामविलास शर्मा, प्रेमचन्द रचनावली

प्रेमचन्द (31 जुलाई, 1880 — 8 अक्तूबर 1936) के उपनाम से लिखने वाले धनपत राय श्रीवास्तव हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। उन्हें मुंशी प्रेमचन्द व नवाब राय नाम से भी जाना जाता है और उपन्यास सम्राट के नाम से अभिहित किया जाता है। इस नाम से उन्हें सर्वप्रथम बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने संबोधित किया था। प्रेमचन्द ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचन्द ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में की तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है।

 

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