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कमभूमि (Paperback)



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ISBN-13: 9788122205206
Language: Hindi

This book is available in following formats:
Format Availability Status Price
Paperback In stock
195.00
$ 3.02

Imprint: Orient Publishing

Publication Date: 09 Jul, 2012

Pages Count: 272 Pages

Weight: 290.00 Grams

Dimensions: 5.50 x 8.50 Inches


Subject Categories:

About the Book:

राष्ट्रवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि में लिखा यह उपन्यास बदलते दौर के सामाजिक इतिहास का जीवन्त चित्रण है।

हिन्दु-मुस्लिम एकता और इन दो समुदायों के साझा लक्ष्य; किसान, गरीब और दलित वर्ग का अपने अधिकारों के लिये अहिंसात्मक संघर्ष उपन्यास के मुख्य विषय-वस्तु हैं।

चिंता-युक्त और विडम्बना की बात है कि यह मुद्दे आज के भारत में भी उतने ही प्रासंगिक और सामयिक हैं जितने उस समय थे।

प्रेमचन्द ने कर्मभूमि में हरिजनों की समस्या उठाई और यह उन्होंने बड़े दिलचस्प अंदाज़ में किया...

डॉ. नामवर सिंह

साहित्य का उद्देश्य जीवन कि वास्तविकताओं और अनुभवों को व्यक्त करना है — कर्मभूमि इस मापदंड पर पूर्णत: सफल है।

टाइम्स ऑफ इंडिया

प्रेमचन्द (31 जुलाई, 1880 — 8 अक्तूबर 1936) के उपनाम से लिखने वाले धनपत राय श्रीवास्तव हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। उन्हें मुंशी प्रेमचन्द व नवाब राय नाम से भी जाना जाता है और उपन्यास सम्राट के नाम से अभिहित किया जाता है। इस नाम से उन्हें सर्वप्रथम बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने संबोधित किया था। प्रेमचन्द ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचन्द ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में की तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है।

 

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