Premchand (1880-1936). Born in Lamhi village near Varanasi in north India as Dhanpat Rai, Premchand’s realistic writings highlighted the social milieu through a multi-faceted portrayal of human nature. The 12 novels, 300 or so short stories (most of them collected in an 8-volume set called Mansarovar and in Soz-e-Watan), plays and numerous essays — all add up to make him not only one of the most prolific but also marvelously creative writers, who came to be regarded as the spokesman of the disinherited and the downtrodden. The Second Wife (titled Nirmala in Hindi) represents a high-water mark of Premchand’s genius as a creator of realistic fiction.
महिला-केन्द्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है। इस उपन्यास की मुखय पात्र 15 वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की है। निर्मला नाम की लड़की का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता more...
राष्ट्रवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि में लिखा यह उपन्यास बदलते दौर के सामाजिक इतिहास का जीवन्त चित्रण है।हिन्दु-मुस्लिम एकता और इन दो समुदायों के साझा लक्ष्य; किसान, गरीब और दलित वर्ग का अपने अधिकारों के more...
मेरी सर्वोत्तम कहानियां हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है। इसमें प्रेमचन्द की पन्द्रह सर्वश्रेष्ठ कहानियां संकलित की गईं हैं जो उर्दू और हिन्दी भाषा में रचित हैं। इन कहानियों की कथा-शैली और साहित्यिक more...
एक महाकाव्यात्मक उपन्यास! जैसा कि नाम से स्पष्ट है प्रेमचन्द ने इस संसार को विशाल रंगभूमि माना है, जिस पर जीवन रूपी विराट् नाटक खेला जाता है। इस नाटक का सूत्रधार ईश्वर है और सांसारिक प्राणी उसके more...
उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि ‘ग़बन’ उपन्यास का प्रथम संस्करण स्वयं प्रेमचन्द की प्रेस तथा प्रकाशन-संस्थान सरस्वती प्रेस, बनारस से फरवरी, 1931, मे प्रकाशित हुआ।पूर्ण more...
सेवासदन हिन्दी साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है। लेखन के लगभग सौ साल बाद भी यह उतना ही प्रासंगिक और समकालीन है जितना तब था। सेवासदन में नारी प्रधानता के साथ-साथ सामाजिक स्थितियां भी कथानक में इस तरह more...
गोदान — प्रेमचंद का अन्तिम और आलोचकों-अनुसार उनका सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास — हिन्दी साहित्य की उत्कृष्टता का उदहारण है. इस उपन्यास में ग्रामीण परिस्थितियों और पात्रों का जीवन्त वर्णन किया गया है. more...
प्रेमचन्द की यह दलित प्रधान कहानियाँ अनायास पाठक के मन को छू जाती हैं। ‘सद्गति’ में एक चमार की दूर्दशा का वर्णन है, जिसपर 1981 में हिन्दी फिल्म भी फिल्माई गई थी। ‘गुल्ली-डंडा’ दो दोस्तों की ऐसी कथा more...
As an example of woman-centric literature which faithfully portrays its social milieu and era, The Second Wife stands in its own class. The novel marks the progress of the literary revolution more...